सरकार के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन
चांदुरबाजार /एजाजखान
प्रहार जनशक्ति पार्टी ने किसानों की जिंदगी और मौत के मुद्दे पर सरकार को नींद से जगाने के लिए एक बार फिर आंदोलन छेड़ दिया है। तालुका के किसानों ने “तत्ववादी आंदोलन” के ज़रिए सरकार द्वारा दी गई 1750 रुपये की अपमानजनक सब्सिडी कार्यवाहक मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को लौटा दी। यह आंदोलन प्रहार तालुका अध्यक्ष प्रदीप भाऊ बंद और दिनेश अमजारे के नेतृत्व में बड़ी संख्या में किसानों और महिला कार्यकर्ताओं की मौजूदगी में हुआ। आंदोलन के दौरान किसानों ने सरकार के खिलाफ जोरदार नारेबाजी कर अपना गुस्सा जाहिर किया।जून से सितंबर 2025 के बीच भारी बारिश, कोहरे और बाढ़ के कारण किसानों की 100% फसलें बर्बाद हो गईं। आंदोलनकारियों का आरोप है कि एक एकड़ खेती के लिए 50,000 रुपये से ज़्यादा खर्च करने के बावजूद उन्हें सिर्फ़ 1750 रुपये मिलना किसानों के जीवन के ख़िलाफ़ है।पंजाब सरकार ने सूखे के दौरान तुरंत 50,000 रुपये प्रति हेक्टेयर की राहत की घोषणा की, जिससे किसानों की आँखों में आँसू आ गए। किसानों ने चेतावनी दी कि महाराष्ट्र सरकार भी इसी तर्ज़ पर सहायता की घोषणा करे, वरना यह आक्रोश सड़कों पर उतरेगा।इस विरोध प्रदर्शन में सरकार से मिली 1750 रुपये की अपमानजनक सब्सिडी लौटाने वाले किसानों में गजानन रामराव खुले, माधवराव धोंडे, अनिलभाऊ खैरखर, प्रदीप खुले, रामेश्वर पोहोकर, गजानन ठाकरे, मदन राऊत, साहेबराव घोरमाडे, मोहन बोरवार, अरुण भुले, घनश्याम घोम, नाजीराव नवले, बंदुभाऊ धरपाल, संदीप मोहोड़, राहुल सायरे, गजानन भेटालु, संतोष ठाकरे, ऋषि शामिल हैं। पोहोकर, आशीष बैंड, रितेश बैंड, प्रज्वल भोकासे। इसके साथ ही महिला कार्यकर्ताओं ने भी बड़ी संख्या में हिस्सा लिया. वर्षा ढाले, स्वाति बालांगे, गीतांजलि नाकाडे, स्टेला मैडम, गीतांजलि वाटाने, मेघा काले, राखी तायडे ने किसानों की जायज मांगों के लिए कड़ा रुख अपनाते हुए सरकार के खिलाफ आवाज उठाई।विरोध प्रदर्शन के दौरान प्रहार कार्यकर्ताओं ने सरकार की कड़े शब्दों में आलोचना की. उन्होंने चेतावनी दी, “किसान भूख, कर्ज, अवसाद और आत्महत्या के कगार पर खड़े हैं। फिर भी हिंदुत्व का राग अलापने वाली सरकार को किसानों की आँखों के आँसू नहीं दिखते। अगर इसी तरह मदद के अपमानजनक टुकड़े फेंके जाते रहे, तो एक बड़ा प्रकोप अवश्यंभावी है और इसके लिए सिर्फ़ यह बहरी सरकार ही ज़िम्मेदार होगी!” चंदूरबाज़ार में प्रहार के नेतृत्व में यह छोटा-सा विरोध प्रदर्शन सफल रहा। सैकड़ों किसानों और महिलाओं ने इसमें भाग लिया और सरकार की नीतियों के ख़िलाफ़ ज़ोरदार नारे लगाए और इलाके में भारी आक्रोश का माहौल बनाया।
